Tuesday, October 26, 2010

सर्वधर्म समभाव की अयोध्या


कौशलेन्द्र प्रताप  

अयोध्या पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद विवाद और असंतोष वहां से उभरा, जहां से इसकी गुंजाइश बिल्कुल न के बराबर थी। कुछ राजनेता, जिनकी हमेशा यह लाइन रही कि समझौता करो या कोर्ट का फैसला मानो, उन्होंने भी इससे मुंह बिचकाया। निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट के द्वारा विहिप को वरीयता देने पर आपत्ति जताई है। उसके अनुसार सरकार ने उसी से 1949 में यह जमीन लेकर रिसीवर नियुक्त किया था, लिहाजा जमीन उसे मिलनी चाहिए।

कुछ हिंदू संगठनों को लगता है कि बाबर और उसके सिपहसालार मीरबाकी ने इतिहास में जो भी किया, उसका बदला लेने का वक्त आ गया है। उधर मुख्य याचिकाकर्ता हाशिम अंसारी की पहल को कुछ मुस्लिम संगठन इसलिए जमींदोज करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर अब झुके तो हमेशा झुकना पड़ेगा।

इस बीच कुछ बौद्ध संगठन बेहद मुखर हुए हैं। यद्यपि उनके दावे को अभी हाल ही में फैजाबाद की जिला अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन उनके तर्क खारिज नहीं किए जा सकते। उनके अनुसार सुग्रीव टीला और कुबेर टीला को भारतीय पुरातत्व के पितामह कनिंघम ने बौद्ध स्तूप बताया है। किसी मस्जिद का नाम बाबरी हो ही नहीं सकता, क्योंकि इस्लाम में किसी व्यक्ति विशेष के नाम से मस्जिद तामीर नहीं की जा सकती। उनके अनुसार अयोध्या में एक बौद्ध भिक्षु बाबरी नाम के हुए हैं, उन्हीं के नाम पर यहां बाबरी स्तूप था। अयोध्या प्रसिद्ध कवि अश्वघोष की नगरी रही है और तथागत ने यहां पर 16 वर्ष वर्षावास किया था। उनके अनुसार हनुमानगढ़ी एक संघाराम के ऊपर बनी है और मीरबाकी का लेख अंग्रेजों ने आगरा से लेकर अयोध्या में चुपके से रख दिया था।

दरअसल, अयोध्या मुद्दे का समाधान भारतीय संस्कृति की जड़ों में खोजा जाना चाहिए। अयोध्या कभी किसी एक मजहब या संस्कृति की जागीर नहीं रहा। ठीक उसी तरह जैसे हिंदुस्तान कभी किसी एक मजहब का होकर नहीं रहा। हनुमानगढ़ी का निर्माण अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने कराया था। यह जगह एक मुसलमान जमींदार की थी। जब से हनुमानगढ़ी आबाद हुई, तभी से उसका पहला प्रसाद एक मुस्लिम फकीर को दिया जाता है। हुनमानगढ़ी में इस परंपरा को सहेजते हुए एक सर्वधर्म सत्यार मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर में आज भी राम, बुद्ध, महावीर के साथ मक्का-मदीना और जरथुस्त्र की तस्वीरें आबाद हैं। हनुमानगढ़ी के महंत पहले अपने आंगन में रोजा-इफ्तार की दावत दिया करते थे जिसमें अयोध्या के मुसलमान शिरकत करते थे, हालांकि 1990 के बाद से इस पर ग्रहण लगा है।

इसी अयोध्या में हजरत शीश की दरगाह है। यहीं हजरत नूह की नौगजा दरगाह है, जहां पर मुसलमानों से ज्यादा अकीदतमंद हिंदू हुआ करते हैं। 12वीं शती में अयोध्या को सूफी परंपरा का एक अजीम शिक्षा केंद्र माना जाता था। मध्य एशिया से काजी कुतुबुद्दीन यहां पर शिक्षा ग्रहण करने आए। सूफी परंपरा के फिरदौसी कबीले के शेख जमाल गूजरी जो हिंदू-मुस्लिम एकता के कसीदे पढ़ते थे, उन्होंने अयोध्या की सर्वधर्म समभाव परंपरा को देखते हुए इसे अपना केंद्र बनाया था।

प्रख्यात नर्तकी उमराव जान जो बाद में मुजफ्फर अली की अजीम शाहकार बनकर पर्दे पर उतरी और बेगम अख्तरी बाई जिसने ठुमरी, गजल और दादरा को अवध की सरहदांे से निकालकर दीगर सूबों में पहुंचाया, वे इसी अयोध्या की आबरू थीं। अयोध्या में भगवा ध्वज, मालाएं, प्रसाद बनाने वाले आधे से अधिक कारीगर मुसलमान हैं। आज भी अयोध्या में सूफी संतों और फकीरों की 80 से अधिक मजारें और दरगाहें हैं और मध्यकाल से ही अयोध्या को आसपास जिलों के मुस्लिम घरों में मक्का खुर्द (छोटी मक्का) कहा जाता है। यह भी केवल इकबाल जैसे किसी शायर का ही जिगर हो सकता है जो राम को ईमाने-हिंद माने, ‘है राम के वजूद पर हिंदुस्तान को नाज/अहले-नजर समझते हैं उसको ईमाने-हिंद।

अयोध्या जैन र्तीथकरों की भी जन्मस्थली रही है। चौबीस र्तीथकरों में से पांच यहीं पैदा हुए। अयोध्या का जो नामकरण साकेत से अयोध्या (वह क्षेत्र जहां युद्ध और वध नहीं होते) हुआ, उस पर बौद्ध धर्म के साथ जैन धर्म की अहिंसा का भी प्रभाव माना गया है। यह भी इतिहास का एक तथ्य है कि सिख गुरुओं में नानक, तेगबहादुर और गुरु गोविंद सिंह ने अयोध्या के ब्रह्मकुण्ड में ध्यान साधना की थी।

ब्रह्मघाट पर स्थित गुरुद्वारा सिख धर्म के सबसे पुराने गुरुद्वारों में से एक है। अस्तु अयोध्या किसी एक का नहीं है। हाई कोर्ट ने जिस मंदिर-मस्जिद का सहअस्तित्व माना है, उसको आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस विवादित स्थल पर राम मंदिर के साथ-साथ मस्जिद, गुरुद्वारा और बौद्ध मठ एक साथ बने। जब इस जगह से सुबह-सवेरे अजान के साथ-साथ अरदास और घंटे-घड़ियालों की स्वर लहरी गूंजेगी तो हिंदुस्तान का असली अक्स नमूदार होगा, जो किसी एक का न होकर सबका है।

(लेखक : प्रशासनिक अधिकारी हैं)

(साभार : दैनिक भास्कर, 13/10/2010)

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